Bhojpuri Speech
दुर्गा पूजा व दशहरा (विजया दशमी )
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सब से पहले हम इहाँ आइल सभे माई-बहिन आ भाई -बंधू के हाथ जोर के प्रणाम करतानी। आज बरी ख़ुशी के बात की हमके यहां कुछ बोले/गावे के मौका मिलल बा, सबसे पहले हम उनका धन्यवाद दे तानी जे हमके एतना बर जगह/मंच पर कुछ बोले के मौका देले बारन। रउवा लोगन से विनती करतानी की ई चाँद शब्द में हमनी कउनो गलती होइ त आपन नादान लइका समझ के छमा करेम।
आपन हिन्दू लोगन में बहुते पर्व-त्वयाहर बा। जेकर कबनों ने कबनों रूप में बहुते महत्त्व बा, कहे की सब पर्व आ तेव्हार से हमनी के नया जीवन के साथ-साथ बहुते सारा आनन्दो प्राप्त होखेला । हम एकरा से प्रेम आ भाई चार के भाबना भी करिले आ आपन जीवन के प्रगति पथ पर आगे बढाबिले। ई पबनी त्यौहार से हम सच्चाई, आदर्श आ नैतकता सीखतानी। ई पावन-त्यौहार हमर अतीत के गौरब आ ओकर मोल के जागरण देवेला। ई से हम धन्य आ कृतज्ञ होखिले। हम हिन्दू के पवित्र पावैन में होली,रक्षाबंधन, दीवाली के नियर दसहरो के भी एक महान पावैन के दर्जा देहल गइल बा। एकरा के सभे हिन्दू बड़ा ही उत्साह आ उल्लास के साथ मानबेला। एकरा के विजयदश्मियो कहल जला।![]() |
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दसहरा मानबे के कारन ई बा की ऍह दिन महँ पराक्रमी आ मर्यादा परुषोत्तम श्री राम जी महा प्रतापी राजा लंका नरेश के मार्ले/हरवले रहे मने राबन के अंत क के लंका पर विजय प्राप्त कबले कबले रहलन।
इहे ख़ुशी में ई पावन के हरेक साल आसीन महीना के शुक्ल पक्ष दसमी में बारे धूम मनोबल जला। दसहरा के ई त्यौहार मानबे के पीछे किछो औरो कारन भी देखे के मिलेला।
बंगाल में यानि उत्तर पूरबी भारत में भारत के जइसन श्री राम के यद् में उ लोगन दसहरा नहीं मानबेला । वोहा शक्ति -शाली माता दुर्गा के सम्मान आ श्रद्धा हेतु ई पावैन के मनोबल जाला।
उ लोगन के ई मनसा बा की इहे दिन माता दुर्गा कैलाश पर्वत के एम्हर गइल रहली।
इहे खातिर लोग मई दुर्गा के याद में रत भर पूजू , उपासना आ अखंड जाप करेलन। नौरात्रि आवे तक लोग मई के मूर्ति के खुबसुरा ढंग से सजा धजा के रखलन आ भजन कीर्तन करेला।
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ई पावैन के दिन पूरा गांव जवार में हलचल मचल रहेला। गजर में मेला के दृश्य दिखयी देवेला। मातवर गरीब लोग आपन -आपन छमता के अनुसार खरीददारी करेलन। लइका बच्चा ई में सबसे अधिक खुश रहेलन आ बहुते आनंद लेबेला। ई पाबैन हमर सभ्यता आ संस्कृति के प्रतीक बा। हमनी के आपन सभ्यता संस्कृति के जिन्दा रखे के खातिर एकरा के धूम धाम से मानबे के चाही। ी से प्राचीन सभ्यता आ बिचार धरा कायम रहेला। तभिये त हमर आवे वाला पीढ़ी एकरा के मानबे में हिचकिचे नाही।
अब हम अतनाही शब्द कहके आपन बानी के विराम दे तानी धन्यवाद
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